नमस्कार! मैं महान देश भारत का राष्ट्रीय ध्वज हूँ। मैं ज्यादातर १५ अगस्त और २६ जनवरी को मिलता हूँ। इन दो दिनों पर या किसी विशेष मौके पर मैं कहीं किसी बाँस अथवा लकड़ी पर फहरता हुआ मिल सकता हूँ।
पर कृपया करके मुझे किसी अन्य दिन न देखें। वैसे आप मुझे किसी अन्य दिन देख भी नहीं सकते। हाँ, कुछ (बड़े) लोग अपनी मेरा अपमान करके, उसे मेरा सम्मान कहके, अपने कपड़ों अथवा अपने जन्मदिन के केकों पर मुझे बना देते हैं।
मैं साठ साल तक भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक रहा हूँ। मैं उन ’बड़े’ लोगों से अनुरोध करूँगा कि अगर वो मेरा सम्मान नहीं कर सकते तो कृपया मेरा अपमान भी न किया करें।
आपका अपना,
विश्व विजयी,
तिरंगा!
Thursday, August 23, 2007
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1 comment:
प्रिय तिरंगे...
हमारी जान
हमारा मान
तुम कपड़े के टुकडे़ थोडे़ ही हो
तुम हो हमारे रक्त में
हमारी सांस में
हमारी शिराओं में
हमारी धमनियों में
हमारे ह्र्दय की धड़कन में
बड़े लोग तो तुम्हे भुनाते हैं
अपनी दुकान चलाते हैं
हमारी आत्मा मे थिरक रहे स्पंदन
से लहराते हो तुम
प्यारे तिरंगे
तुम्हारे तीन रंग
मन का जोश है
जीवन का होश है
और हमारे जीवन का चक्र है
तुम्हारे बीच लहरात चक्र
तुम्हे याद करने के लिये
हमें सिर्फ़ वैसा ही करना पड़ता है
जैसे हम उस निराकार ईश्वर को
याद कर के आनंदित महसूस करते हैं
तुम्हे याद करने के लिये हमें
पंद्रह अगस्त और छब्बीस जनवरी की
जुस्तजू भी नहीं
क्योंकि प्यारे तिरंगे हम जहाँ
जिस समय
जिस हाल में
जिस भी औक़ात में हैं
भारतीय हैं
तिरंगे यानी तुम्हारे
आसरे तुम्हारे साये में हैं
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
झंडा ऊँचा रहे हमारा.
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