Sunday, June 10, 2007

गर्मी का महाप्रलय

इस बार की गर्मी के क्या कहने। लगभग पूरा भारत, या शायद पूरा विश्व इसकी चपेट में है। मैं इलाहाबाद में रहता हूँ और मैने अपनी पूरे जीवन में इतनी गर्मी नहीं देखी। जिस इलाहाबाद में तापमान 40 डिग्री के आसपास ही रहता था, और जहाँ कभी तापमान 45 डिग्री के ऊपर नहीं गया, वहाँ आजकल 47 डिग्री के आसपास तापमान रहता है। अभी खबर आई कि श्रीगंगानगर में तापमान 49 डिग्री तक पहुँच गया। पर सबसे बड़ी बात है की इसके लिये कौन है जिम्मेदार?
ग्लोबल वॉर्मिंग को दोष देने के काम नहीं चलेगा। ग्लोबल वॉर्मिंग तो इन्सान द्वारा फैलाई गई एक दुर्व्यवस्था क नाम है। इसका जिम्मेदार केवल मनुष्य ही है। कहने को तो इसकी रोकथाम के लिये कई उपाय हो रहें है। पर अगर यही हाल रहा तो शायद अगले वर्ष 60 डिग्री तक का तापमान हो जायेगा। तो क्या इसका अर्थ है की हम सरकार की योजनाओं को दोष दें?
हमारा कर्तव्य है की हम इसकी रोकथाम के लिये हरसम्भव प्रयास करें।
इसके लिये मैं आपके सामने कुछ बिंदु लिख रहा हूँ। कृपया इनपर अवश्य अमल करें :-
1. पेड़ लगाईये। प्रत्येक वर्ष कम से कम 10 पेड़ जरूर लगायें। साथ ही उनकी देखभाल भी करें। इससे तापमान कम होगा, पानी की कमी नहीं होगी, और बाढ़ और सूखे का खतरा कम होगा।
2. जनजाग्रिती फैलाईये। लोग अगर जागरुक रहेंगे तो पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा।
3. ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाली चीजों का उपयोग कम से कम कीजिये। इससे प्रदूषण तो कम होगा, साथ ही भारत की संस्कृति भी लौटेगी।
इन तीन बिंदुओं पर कृपया शत प्रतिशत अमल कीजिये। और अगर आप इनको न करने का कोई बहाना बनातें हैं, तो कृपया यह याद रखिये की यह बहाना आपकी जान ले सकता है।
अगर एक तेरह साल का लड़का इतना सोच सकता है, तो आपको निश्चित रूप से इन पर अमल करना चाहिये।
जिन चिठ्ठाकार साथियों ने मेरा ये लेख पढ़ा है, उनसे अनुरोध है कि वे इन तीन बिंदुओं पर अवश्य अमल करें। अगर आप इन बिन्दुओं पर अमल करेंगे तो मैं इसे इस लेख की सफलता मानूंगा।