नमस्कार! मैं महान देश भारत का राष्ट्रीय ध्वज हूँ। मैं ज्यादातर १५ अगस्त और २६ जनवरी को मिलता हूँ। इन दो दिनों पर या किसी विशेष मौके पर मैं कहीं किसी बाँस अथवा लकड़ी पर फहरता हुआ मिल सकता हूँ।
पर कृपया करके मुझे किसी अन्य दिन न देखें। वैसे आप मुझे किसी अन्य दिन देख भी नहीं सकते। हाँ, कुछ (बड़े) लोग अपनी मेरा अपमान करके, उसे मेरा सम्मान कहके, अपने कपड़ों अथवा अपने जन्मदिन के केकों पर मुझे बना देते हैं।
मैं साठ साल तक भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक रहा हूँ। मैं उन ’बड़े’ लोगों से अनुरोध करूँगा कि अगर वो मेरा सम्मान नहीं कर सकते तो कृपया मेरा अपमान भी न किया करें।
आपका अपना,
विश्व विजयी,
तिरंगा!
Thursday, August 23, 2007
Wednesday, July 11, 2007
एक अधूरी कविता
बिगाड़ डाला मिल के हमने
इस विशाल सुखद विश्व को
इस श्वेताम्बर की गरिमा को
इस विश्व के भ्रातृत्व को
यह विश्व युगो युगो से रहा है
ईश्वर के निर्माण का साक्षी रूप
पर मानव ने नही समझी इनकी महत्ता
ये पानी ये वायु ये चिलचिलाती धूप
सबको बिगाड़ डाला है हमने
अपने निज स्वार्थों के लिये
पूरी संरचना को बिगाड़ डाला
पता नही किस सुख के लिये
मैं इस कविता को पूरी नहीं कर पा रहा हूँ, कृपया इसको पूरी करने में मेरी सहायता करें।
इस विशाल सुखद विश्व को
इस श्वेताम्बर की गरिमा को
इस विश्व के भ्रातृत्व को
यह विश्व युगो युगो से रहा है
ईश्वर के निर्माण का साक्षी रूप
पर मानव ने नही समझी इनकी महत्ता
ये पानी ये वायु ये चिलचिलाती धूप
सबको बिगाड़ डाला है हमने
अपने निज स्वार्थों के लिये
पूरी संरचना को बिगाड़ डाला
पता नही किस सुख के लिये
मैं इस कविता को पूरी नहीं कर पा रहा हूँ, कृपया इसको पूरी करने में मेरी सहायता करें।
Sunday, June 10, 2007
गर्मी का महाप्रलय
इस बार की गर्मी के क्या कहने। लगभग पूरा भारत, या शायद पूरा विश्व इसकी चपेट में है। मैं इलाहाबाद में रहता हूँ और मैने अपनी पूरे जीवन में इतनी गर्मी नहीं देखी। जिस इलाहाबाद में तापमान 40 डिग्री के आसपास ही रहता था, और जहाँ कभी तापमान 45 डिग्री के ऊपर नहीं गया, वहाँ आजकल 47 डिग्री के आसपास तापमान रहता है। अभी खबर आई कि श्रीगंगानगर में तापमान 49 डिग्री तक पहुँच गया। पर सबसे बड़ी बात है की इसके लिये कौन है जिम्मेदार?
ग्लोबल वॉर्मिंग को दोष देने के काम नहीं चलेगा। ग्लोबल वॉर्मिंग तो इन्सान द्वारा फैलाई गई एक दुर्व्यवस्था क नाम है। इसका जिम्मेदार केवल मनुष्य ही है। कहने को तो इसकी रोकथाम के लिये कई उपाय हो रहें है। पर अगर यही हाल रहा तो शायद अगले वर्ष 60 डिग्री तक का तापमान हो जायेगा। तो क्या इसका अर्थ है की हम सरकार की योजनाओं को दोष दें?
हमारा कर्तव्य है की हम इसकी रोकथाम के लिये हरसम्भव प्रयास करें।
इसके लिये मैं आपके सामने कुछ बिंदु लिख रहा हूँ। कृपया इनपर अवश्य अमल करें :-
1. पेड़ लगाईये। प्रत्येक वर्ष कम से कम 10 पेड़ जरूर लगायें। साथ ही उनकी देखभाल भी करें। इससे तापमान कम होगा, पानी की कमी नहीं होगी, और बाढ़ और सूखे का खतरा कम होगा।
2. जनजाग्रिती फैलाईये। लोग अगर जागरुक रहेंगे तो पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा।
3. ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाली चीजों का उपयोग कम से कम कीजिये। इससे प्रदूषण तो कम होगा, साथ ही भारत की संस्कृति भी लौटेगी।
इन तीन बिंदुओं पर कृपया शत प्रतिशत अमल कीजिये। और अगर आप इनको न करने का कोई बहाना बनातें हैं, तो कृपया यह याद रखिये की यह बहाना आपकी जान ले सकता है।
अगर एक तेरह साल का लड़का इतना सोच सकता है, तो आपको निश्चित रूप से इन पर अमल करना चाहिये।
जिन चिठ्ठाकार साथियों ने मेरा ये लेख पढ़ा है, उनसे अनुरोध है कि वे इन तीन बिंदुओं पर अवश्य अमल करें। अगर आप इन बिन्दुओं पर अमल करेंगे तो मैं इसे इस लेख की सफलता मानूंगा।
ग्लोबल वॉर्मिंग को दोष देने के काम नहीं चलेगा। ग्लोबल वॉर्मिंग तो इन्सान द्वारा फैलाई गई एक दुर्व्यवस्था क नाम है। इसका जिम्मेदार केवल मनुष्य ही है। कहने को तो इसकी रोकथाम के लिये कई उपाय हो रहें है। पर अगर यही हाल रहा तो शायद अगले वर्ष 60 डिग्री तक का तापमान हो जायेगा। तो क्या इसका अर्थ है की हम सरकार की योजनाओं को दोष दें?
हमारा कर्तव्य है की हम इसकी रोकथाम के लिये हरसम्भव प्रयास करें।
इसके लिये मैं आपके सामने कुछ बिंदु लिख रहा हूँ। कृपया इनपर अवश्य अमल करें :-
1. पेड़ लगाईये। प्रत्येक वर्ष कम से कम 10 पेड़ जरूर लगायें। साथ ही उनकी देखभाल भी करें। इससे तापमान कम होगा, पानी की कमी नहीं होगी, और बाढ़ और सूखे का खतरा कम होगा।
2. जनजाग्रिती फैलाईये। लोग अगर जागरुक रहेंगे तो पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा।
3. ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाली चीजों का उपयोग कम से कम कीजिये। इससे प्रदूषण तो कम होगा, साथ ही भारत की संस्कृति भी लौटेगी।
इन तीन बिंदुओं पर कृपया शत प्रतिशत अमल कीजिये। और अगर आप इनको न करने का कोई बहाना बनातें हैं, तो कृपया यह याद रखिये की यह बहाना आपकी जान ले सकता है।
अगर एक तेरह साल का लड़का इतना सोच सकता है, तो आपको निश्चित रूप से इन पर अमल करना चाहिये।
जिन चिठ्ठाकार साथियों ने मेरा ये लेख पढ़ा है, उनसे अनुरोध है कि वे इन तीन बिंदुओं पर अवश्य अमल करें। अगर आप इन बिन्दुओं पर अमल करेंगे तो मैं इसे इस लेख की सफलता मानूंगा।
Saturday, May 26, 2007
अजीब पुत्र की खोज
नोट :- मेरा 170 वर्षीय पुत्र मगनूलाल पिछले 35 सालों से लापता है। उसके चेहरे का रंग पक्का हरा है। उसके हाथ-पैरों में छह-छह उंगलियाँ हैं। वह एक पढ़ा-लिखा बेवकूफ है। वह एक शर्ट पहने है जिसके दो बटन गायब हैं। वह एक हाथ में शर्ट की पूरी आस्तीन और दूसरे में आधी आस्तीन पहने हुए है। वह एक टाँग में कच्छा और दूसरे में धोती पहने हुए है। एक पैर में जूता और दूसरे में चप्पल पहने हुए है। जिस किसी को भी मेरा लड़का मिले, वो सज्जन कृपया करके उसे तुरन्त चिड़ियाघर भेज दें।
पता नोट कर लें :-
चौपट निकेतन,
अजीबोगरीब कॉलोनी,
उलटा नगर
पता नोट कर लें :-
चौपट निकेतन,
अजीबोगरीब कॉलोनी,
उलटा नगर
Friday, May 25, 2007
बच्चों पर पढाई का बोझ- सही या गलत!
मैडम मैडम मुझे देखो,
हालत मेरी खस्ता है,
के जी टू में पढता हूँ,
टू केजी का बस्ता है।
जी हाँ, आज कल हर गली, सड़क पर भारी भरकम बस्तों को उठाए हुए कुछ छोटे छोटे बच्चे दिख ही जातें हैं। प्रश्न ये उठता है कि क्या बच्चों का इतनी छोटी उम्र में इतनी ज्यादा कॉपी किताबों का भार ढोना सही है? मैं अपनी बहन, सोनल, जो कक्षा तीन की छात्रा है, उसकी किताबें देखता हूँ तो लगता है कि इतनी किताबें तो मैंने तीन कक्षाओं को मिलाकर भी नहीं पढ़ीं। क्या इतनी कम उम्र में इतना भार लादना सही है? क्या इससे बढ़िया पिछले समय की पढाई नहीं थी? कृपया अपनी राय जरूर भेंजें।
हालत मेरी खस्ता है,
के जी टू में पढता हूँ,
टू केजी का बस्ता है।
जी हाँ, आज कल हर गली, सड़क पर भारी भरकम बस्तों को उठाए हुए कुछ छोटे छोटे बच्चे दिख ही जातें हैं। प्रश्न ये उठता है कि क्या बच्चों का इतनी छोटी उम्र में इतनी ज्यादा कॉपी किताबों का भार ढोना सही है? मैं अपनी बहन, सोनल, जो कक्षा तीन की छात्रा है, उसकी किताबें देखता हूँ तो लगता है कि इतनी किताबें तो मैंने तीन कक्षाओं को मिलाकर भी नहीं पढ़ीं। क्या इतनी कम उम्र में इतना भार लादना सही है? क्या इससे बढ़िया पिछले समय की पढाई नहीं थी? कृपया अपनी राय जरूर भेंजें।
Thursday, May 24, 2007
कुछ असामान्य प्रश्न
अभी मैं आपके सामने कुछ अति सामान्य ज्ञान के प्रश्न पूछ रहा हूँ, कृपया उनके यथोचित उत्तर दे कर अपनी बुद्धि पर विचार करें ।
( उत्तर तो नीचे हैं, पर उन्हें प्रश्नों के ज़वाब देने के बाद पढ़िये । )
प्रश्न.१ क्या होगा लालू जी का अगर राबडी़ देवी लस्सी में परिवर्तित हो जायें?
प्रश्न.२ दो और दो पांच कैसे हुए?
प्रश्न.३ क्या होता अगर रात ही न होती, सदा रोशनी रहती?
प्रश्न.४ सकारात्मक सोच का सबसे बढिया उदाहरण दीजिये ।
प्रश्न.५ दुनिया का सबसे बडा बेवकूफ कौन है?
उत्तर :--
उ.१ लालू जी सरदार बन जाते ।
उ.२ गलती से ।
उ.३ बिजली का बिल बहुत कम आता ।
उ.४ सहवाग जी का सूर्यरोधि क्रीम लगा के बैटिंग करने जाना ।
उ.५ आप, जो मेरे इन बकवास सवालों के उत्तर दे रहें हैं ।
अगर आपको इसमे कुछ बुरा लगा, तो कृपया करिये और मुझे माफ कर दीजिये ।
( उत्तर तो नीचे हैं, पर उन्हें प्रश्नों के ज़वाब देने के बाद पढ़िये । )
प्रश्न.१ क्या होगा लालू जी का अगर राबडी़ देवी लस्सी में परिवर्तित हो जायें?
प्रश्न.२ दो और दो पांच कैसे हुए?
प्रश्न.३ क्या होता अगर रात ही न होती, सदा रोशनी रहती?
प्रश्न.४ सकारात्मक सोच का सबसे बढिया उदाहरण दीजिये ।
प्रश्न.५ दुनिया का सबसे बडा बेवकूफ कौन है?
उत्तर :--
उ.१ लालू जी सरदार बन जाते ।
उ.२ गलती से ।
उ.३ बिजली का बिल बहुत कम आता ।
उ.४ सहवाग जी का सूर्यरोधि क्रीम लगा के बैटिंग करने जाना ।
उ.५ आप, जो मेरे इन बकवास सवालों के उत्तर दे रहें हैं ।
अगर आपको इसमे कुछ बुरा लगा, तो कृपया करिये और मुझे माफ कर दीजिये ।
प्रारंभ
हेलो अंकल, आन्टी एवं मेरे साथियों
मैने अपना ब्लॉग बनाया है। मैं तेरह साल का हूँ, और कक्षा आठ में पढ़ता हूँ। मैंने जो ब्लॉग रचित किया है उसमें आप नाना प्रकार की चीजें पढ़ सकेंगे। अगर आज्ञा हो तो मैं लिखना शुरू करूं?
मैने अपना ब्लॉग बनाया है। मैं तेरह साल का हूँ, और कक्षा आठ में पढ़ता हूँ। मैंने जो ब्लॉग रचित किया है उसमें आप नाना प्रकार की चीजें पढ़ सकेंगे। अगर आज्ञा हो तो मैं लिखना शुरू करूं?
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